Tulsi Mata Ki Kahani in Hindi
Album :- Tulsi Mata Ki Kahani
Label :- Vrat Parva Tyohar
कार्तिक महीने में एक बुढ़िया माई तुलसीजी को सींचती और कहती कि: हे तुलसी माता! सत की दाता मैं तेरा बिडला सीचती हूँ,
मुझे बहु दे,
पीताम्बर की धोती दे,
मीठा-मीठा गास दे,
बैकुंठा में वास दे,
चटक की चाल दे,
पटक की मोत दे,
चंदन का काठ दे,
रानी सा राज दे,
दाल भात का भोजन दे,
ग्यारस की मौत दे,
कृष्ण जी का कन्धा दे ।
तब तुलसी माता यह सुनकर सूखने लगीं तो भगवान ने पूछा कि: हे तुलसी! तुम क्यों सूख रही हो?
तुलसी माता ने कहा कि: एक बुढ़िया रोज आती है और यही बात कह जाती है। मैं सब बात तो पूरा कर दूँगी लेकिन कृष्ण का कन्धा कहाँ से लाऊँगी।
तो भगवान बोले: जब वो मरेगी तो मैं अपने आप कंधा दे आऊँगा। तू बुढ़िया माई से कह देना।
जब बुढिया माई मर गई। सब लोग आ गये। जब माई को ले जाने लगे तो वह किसी से न उठी। तब भगवान एक बारह बरस के बालक का रूप धारण करके आये। बालक ने कहा मैं कान में एक बात कहूँगा तो बुढ़िया माई उठ जाएगी। बालक ने कान में कहा:
बुढ़िया माई मन की निकाल ले,
पीताम्बर की धोती ले,
मीठा-मीठा गास ले,
बेकुंठा का वास ले,
चटक की चाल ले,
पटक की मोत ले,
कृष्ण जी का कन्धा ले..
यह सुनकर बुढ़िया माई हल्की हो गई। भगवान ने कन्धा दिया और बुढ़िया माई को मुक्ति मिल गई।
हे तुलसी माता! जैसे बुढ़िया माई को मुक्ति दी बैसे सबको देना।