Satyanarayan Katha 

 Bhajan: Shri Satya Narayan Katha Language: Hindi Category: Devotional Singer: Surender Sharma Producer: Amresh Bahadur, Ramit Mathur Music Director: Sohan Lal Writer: Paramparik Label: Yuki

श्री सत्यनारायण कथा - प्रथम अध्याय (Shri Satyanarayan Katha Pratham Adhyay in Hindi)

एक समय की बात है नैषिरण्य तीर्थ में शौनिकादि, अठ्ठासी हजार ऋषियों ने श्री सूतजी से पूछा हे प्रभु! इस कलियुग में वेद विद्या रहित मनुष्यों को प्रभु भक्ति किस प्रकार मिल सकती है? तथा उनका उद्धार कैसे होगा? हे मुनि श्रेष्ठ ! कोई ऐसा तप बताइए जिससे थोड़े समय में ही पुण्य मिलें और मनवांछित फल भी मिल जाए। इस प्रकार की कथा सुनने की हम इच्छा रखते हैं।
सर्व शास्त्रों के ज्ञाता सूत जी बोले – हे वैष्णवों में पूज्य ! आप सभी ने प्राणियों के हित की बात पूछी है इसलिए मैं एक ऐसे श्रेष्ठ व्रत को आप लोगों को बताऊँगा जिसे नारद जी ने लक्ष्मीनारायण जी से पूछा था और लक्ष्मीपति ने मुनिश्रेष्ठ नारद जी से कहा था। आप सब इसे ध्यान से सुनिए –

 

एक समय की बात है, योगीराज नारद जी दूसरों के हित की इच्छा लिए अनेकों लोको में घूमते हुए मृत्युलोक में आ पहुँचे। यहाँ उन्होंने अनेक योनियों में जन्मे प्राय: सभी मनुष्यों को अपने कर्मों द्वारा अनेकों दुखों से पीड़ित देखा। उनका दुःख देख नारद जी सोचने लगे कि कैसा यत्न किया जाए जिसके करने से निश्चित रुप से मानव के दुखों का अंत हो जाए। इसी विचार पर मनन करते हुए वह विष्णुलोक में गए। वहाँ वह देवों के ईश भगवान् नारायण की स्तुति करने लगे जिनके हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म थे, गले में वरमाला पहने हुए थे।

स्तुति करते हुए नारद जी बोले – हे भगवान! आप अत्यंत शक्ति से संपन्न हैं, मन तथा वाणी भी आपको नहीं पा सकती हैं। आपका आदि, मध्य तथा अंत नहीं है। निर्गुण स्वरुप सृष्टि के कारण भक्तों के दुःख को दूर करने वाले, आपको मेरा नमस्कार है।

नारद जी की स्तुति सुन विष्णु भगवान बोले – हे मुनिश्रेष्ठ! आपके मन में क्या बात है? आप किस काम के लिए पधारे हैं? उसे नि:संकोच कहो। इस पर नारद मुनि बोले कि मृत्युलोक में अनेक योनियों में जन्मे मनुष्य अपने कर्मों के द्वारा अनेको दुःख से दुखी हो रहे हैं। हे नाथ! आप मुझ पर दया रखते हैं तो बताइए कि वो मनुष्य थोड़े प्रयास से ही अपने दुखों से कैसे छुटकारा पा सकते हैं।

श्रीहरि बोले – हे नारद! मनुष्यों की भलाई के लिए तुमने बहुत अच्छी बात पूछी है। जिसके करने से मनुष्य मोह से छूट जाता है, वह बात मैं कहता हूँ उसे सुनो। स्वर्ग लोक व मृत्युलोक दोनों में एक दुर्लभ उत्तम व्रत है जो पुण्य देने वाला है। आज प्रेमवश होकर मैं उसे तुमसे कहता हूँ। श्रीसत्यनारायण भगवान का यह व्रत अच्छी तरह विधानपूर्वक करके मनुष्य तुरंत ही यहाँ सुख भोग कर, मरने पर मोक्ष पाता है।

श्रीहरि के वचन सुन नारद जी बोले कि उस व्रत का फल क्या है? और उसका विधान क्या है? यह व्रत किसने किया था? इस व्रत को किस दिन करना चाहिए? सभी कुछ विस्तार से बताएँ।

नारद की बात सुनकर श्रीहरि बोले – दुःख व शोक को दूर करने वाला यह व्रत सभी स्थानों पर विजय दिलाने वाला है। मानव को भक्ति व श्रद्धा के साथ शाम को श्रीसत्यनारायण की पूजा धर्म परायण होकर ब्राह्मणों व बंधुओं के साथ करनी चाहिए। भक्ति भाव से ही नैवेद्य, केले का फल, घी, दूध और गेहूँ का आटा सवाया लें। गेहूँ के स्थान पर साठी का आटा, शक्कर तथा गुड़ लेकर व सभी भक्षण योग्य पदार्थो को मिलाकर भगवान का भोग लगाएँ।..

..ब्राह्मणों सहित बंधु-बाँधवों को भी भोजन कराएँ, उसके बाद स्वयं भोजन करें। भजन, कीर्तन के साथ भगवान की भक्ति में लीन हो जाएं। इस तरह से सत्यनारायण भगवान का यह व्रत करने पर मनुष्य की सारी इच्छाएँ निश्चित रुप से पूरी होती हैं। इस कलि काल अर्थात कलियुग में मृत्युलोक में मोक्ष का यही एक सरल उपाय बताया गया है।

॥ इति श्री सत्यनारायण व्रत कथा का प्रथम अध्याय संपूर्ण॥

श्रीमन्न नारायण-नारायण-नारायण ।
भज मन नारायण-नारायण-नारायण ।
श्री सत्यनारायण भगवान की जय ॥

Shri Satyanarayan Katha in English

Once upon a time, in Naishiranya Tirtha, Shaunikadi, eighty-eight thousand sages asked Shri Sutji, O Lord! In this Kaliyuga, how can people without knowledge of Vedas get devotion to God? And how will they be saved? O great sage! Tell me some such penance which will give virtue in a short time and also give the desired result. This is the kind of story we want to hear.
Sut ji, knowledgeable of all the scriptures, said – O most revered among Vaishnavas! All of you have asked about the welfare of living beings, hence I will tell you about such a great fast which was asked by Narad ji to Lakshminarayan ji and Lakshmipati told it to the best sage Narad ji. All of you listen to this carefully –

 

Once upon a time, Yogiraj Narad ji, wandering in many worlds with the desire for the welfare of others, reached the world of death. Here he saw almost all the human beings born in many births suffering from many sorrows due to their deeds. Seeing their sorrow, Narad ji started thinking about what efforts should be made which will definitely end human suffering. Meditating on this thought, he went to Vishnuloka. There he started praising Lord Narayana, the God of Gods, who had conch, disc, mace and padma in his hands and was wearing a garland around his neck.

While praising Narad ji said – Oh God! You are endowed with immense power, even mind and speech cannot reach you. You have no beginning, middle and end. My salutations to you, the one who removes the sorrows of the devotees due to the nirgun form of creation. Hearing

the praise of Narad ji, Lord Vishnu said – O great sage! What’s on your mind? For what purpose have you come? Tell him without hesitation. On this Narada Muni said that people born in many forms in the mortal world are suffering from many sorrows due to their deeds. Hey Nath! If you have mercy on me, then tell me how those people can get rid of their sorrows with just a little effort.

Shri Hari said – O Narad! You have asked a very good thing for the welfare of humans. By doing which a person becomes free from attachment, listen to what I am saying. There is a rare good fast in both the heaven and the mortal world which gives virtue. Today, out of love, I tell you this. By observing this fast of Lord Shri Satyanarayan properly, a person immediately enjoys happiness here and attains salvation after death.

Hearing the words of Shri Hari, Narad ji asked what is the result of that fast? And what is its law? Who observed this fast? On which day should this fast be observed? Explain everything in detail.

After listening to Narad, Shri Hari said – This fast which removes sorrow and grief will give victory at all places. Man should worship Shri Satyanarayan in the evening with devotion and reverence along with Brahmins and brothers. Offer Naivedya, banana fruit, ghee, milk and wheat flour only with devotion. Instead of wheat, take sathi flour, sugar and jaggery and mix all the eatable items and offer it to God.

Offer food to the brothers and relatives including Brahmins , and then eat the food yourself. Get absorbed in the devotion of God with bhajan and kirtan. In this way, by observing this fast of Lord Satyanarayan, all the wishes of a person are definitely fulfilled. In this Kali Kaal i.e. Kaliyuga, this is the only simple solution for salvation in the mortal world.

, This is the complete first chapter of Shri Satyanarayan Vrat Katha.

Shriman Narayan-Narayan-Narayan.
Bhaj Man Narayan-Narayan-Narayan.
Jai to Lord Shri Satyanarayan.

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